“आयुर्वेद” शब्द संस्कृत के दो शब्दों “आयु” (जीवन) और “वेद” (ज्ञान/विज्ञान) से बना है, अर्थात “जीवन का विज्ञान”। यह भारत की प्राचीन समय चिकित्सा पद्धति है, जो शरीर, मन, आत्मा और पर्यावरण के बीच संतुलन पर आधारित है। आयुर्वेद का औषधीय उपयोग पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक शोध के आधार पर रोग के मूल तक पहुँचने का प्रयास करता है—चाहे वह पाचन सुधार हो, प्रतिरक्षा बढ़ाना हो, मानसिक स्वास्थ्य हो या वजन नियंत्रण। यह एक समग्र दृष्टिकोण है जिसमें औषधि, आहार, दिनचर्या और मानसिक संतुलन का समन्वय शामिल है। आयुर्वेद एक प्राचीन प्रणाली है जो व्यक्ति के जीव, मन और पर्यावरण के संतुलन पर जोर देती है। इसका उद्देश्य रोगों के लक्षणों से आगे जा कर दोषों के मूल कारण को ठीक करना है।
आयुर्वेद का इतिहास लगभग 5000 वर्ष पुराना माना जाता है और इसका प्रारंभ अथर्ववेद में हुआ माना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार शरीर सात प्रमुख धातुओं (सप्तधातु) से बना है तो है: रस (Rasa), रक्त, मांस, मेद, अस्रयू, मज्जा और शुक्र। इनमें मानवीय की प्रकृति, दोष संतुलन और पाचन शक्ति के आधार पर किया जाता है। इसमें शरीर की जाँच, जीवनशैली अध्ययन और दैनिक आदतें शामिल होती हैं।